नमस्कार दोस्तों में नदीम चौहान एक बार फिर अपने उन साथियो तहे दिल से स्वागत करता हु जो दोस्त दिन रात लगे हुए है यूपीएससी की तयारी में
आज में आपको बताने जा रहा हूँ की हमें आईएएस (सिविल सेवा परीक्षा) में परीक्षा देने का माध्यम हिंदी चुनना चाहिए या इंग्लिश ---
यह एक कड़वा सच है कि इंग्लिश माध्यम (English medium) के छात्रों के पास किताबों के लिए बहुत सारे विकल्प
हैं. अनुभवी लेखकों के द्वारा इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र आदि विषयों की कई किताबें इंग्लिश भाषा में लिखी गयी हैं और बाजार
में भरी पड़ी हैं. इंग्लिश माध्यम वाले छात्रों के लिए किताबों की अपार संख्या तो
उपलब्ध हैं ही, इसके अलावा इन्टरनेट की
सम्पूर्ण दुनिया इंग्लिश में ही परोसी गयी हैं. विकिपीडिया, गूगल….सभी जगह इंग्लिश की प्रभुता है.आईएएस के लिए सभी मुख्या वेबसाइट भी इंग्लिश में ही उपलब्द होती है इंग्लिश माध्यम वाले छात्र आसानी से हर टॉपिक को गूगल में सर्च कर के कई किताबों
को access करते हैं और विकिपीडिया से
नोट्स बना लेते हैं. THE HINDU, Times of India,
Hindustan Times आदि कई अखबार भी इंग्लिश माध्यम वाले छात्रों के लिए उपलब्ध हैं जहाँ से
डायरेक्टली सवाल पूछे जाते हैं. दूसरी तरह हिंदी माध्यम (Hindi medium) इन सुविधाओं से भी अछूते रह
जाते हैं. इन्टरनेट पर Hindi contents बहुत कम उपलब्ध हैं. सच कहा जाए तो इसी कमी को पूरी करने के लिए मैंने यह
ब्लॉग बनाया था पर एक अकेला इंसान सभी छात्रों की विभिन्न मांगों को पूरा कैसे करे? परन्तु फिर भी मेरा प्रयास
जारी है और जारी रहेगा
यह सच है कि इंग्लिश माध्यम के छात्र इन्टरनेट का इस्तेमाल कर के और कई
किताबों को पढ़कर अच्छे नोट्स तैयार कर सकते हैं और यह भी सच है कि हिंदी माध्यम के
छात्रों के लिए उत्कृष्ट किताबों की लिस्ट बहुत छोटी है और इन्टरनेट वर्ल्ड उनके
लिए काफी सूना है पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हिंदी माध्यम वाले
छात्र निराश हो कर बैठ जाएँ. उनकी दुनिया यहीं समाप्त नहीं होती. कुछ उत्कृष्ट
किताबें हिंदी माध्यम में भी उपलब्ध हैं जिन्हें पढ़कर आपकी राह आसान हो सकती है.
एक महत्त्वपूर्ण बात मैं यहाँ पर कहना चाहूँगा कि यदि आपका इंग्लिश वीक है पर
फिर भी आप इंग्लिश माध्यम में exam लिखने की सोच रहे हो तो आप अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम रहे हो . आप जिस
लैंग्वेज में भी अच्छा लिख पाते हो, उसी लैंग्वेज में परीक्षा लिखो. कई बार नॉन-इंग्लिश
बैकग्राउंड वाले छात्र इंग्लिश माध्यम में परीक्षा लिखने का गलत निर्णय ले लेते
हैं और बीच भँवर में फंस जाते हैं. न इधर के रहते हैं और न उधर के. न ही उन्हें
ठीक से इंग्लिश समझ आ पाती है और न ही वह खुद का नोट्स बना पाते हैं.
एक हिंदी माध्यम का छात्र अपने विचार हिंदी में ही अच्छे तरीके से व्यक्त कर सकता न की किसी और भाषा में
तो में आप से कहना चाहूँगा की अगर आपकी हाईस्कूल और इन्टरमीडिएट हिंदी मीडियम से है तो आपको हिंदी मीडियम ही चुनना चाहिए आपको कुछ लोग ऐसे भी मिलेगे जो कहेगे की यार हिंदी माध्यम वालो का तो कही से कही भी सिलेक्शन नहीं होता दोस्तों ये बात तो माननी पड़ेगी की आजतक हिंदी माध्यम से कोई भी यूपीएससी टॉप नहीं कर पाया हालांकि अब स्थिति में सुधार है अब तो हिंदी मध्यम 3 स्थान तक पहुँच गया है
तो ये नहीं कह सकते की हिंदी माध्यम का छात्र आईएएस नहीं बन सकता अब हिंदी माध्यम के छत्र भी इतने कमजोर नहीं रहे
दिन रात म्हणत से तयारी करो सफलता जरूर मिलेगी
तो दोस्तों आपको वाही माध्यम चुनना है जिसमे आप अपने अन्दर के विचार अच्छे से वयक्त कर सको क्यूंकि सिविल सेवा में आपके विचार ही बहुत अहमियत रखते है
तो दोस्तों नमस्कार जल्दी मिलूँगा नए TOPPIC के साथ कोई भी बात जाननी हो तो कमेंट करे
धन्यवाद्
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